प्रत्येक मनुष्य का स्वाभाव और मानसिकता भिन्न भिन्न होती है।किसी भी व्यक्ति के स्वभाव का पता उसकी जन्म कुंडली के लग्न भाव से पता चल जाता है।
लग्न भाव में मेष और वृश्चिक राशी वाला जातक बहुत स्वाभिमानी और घमंडी होता है। जीवन में झुकना उसके लिए असंभव होता है और वो अपनी बात पर अटल रहता है।
लग्न में वृष या तुला राशी होने पर जातक सौन्द्य प्रिय होता है।उसका वर्ण उज्जवल कान्तियुक्त होता है
मिथुन या कन्या लग्न वाला दब्बू प्रक्रति का होता है।वो हमेशा माध्यम मार्ग अपनाता है।उसकी बुद्धि कुशाग्र और तर्कशक्ति प्रबल होती है।
कर्क लग्न वाला जातक कल्पनाशील होता है।उसके मतिष्क में योजनाये बनती रहती है।उसके कार्य में तीव्रता रहती है।वो सौन्दर्य प्रिय और जल प्रिय होती है।
सिंह लग्न वाला जातक पराक्रम शील स्वाभिमानी और कर्मनिष्ठ होता है।
धनु या मीन लग्न वाला जातक ज्ञान सम्पन्न चिंतनशील कला में अभिरुचि रखने वाला और नीतिवान होता है।
मकर और कुम्भ लग्न वाला जातक धैर्यवान स्पष्टवादी औउर आडम्बर प्रमी होता है।
लग्न भाव में मेष और वृश्चिक राशी वाला जातक बहुत स्वाभिमानी और घमंडी होता है। जीवन में झुकना उसके लिए असंभव होता है और वो अपनी बात पर अटल रहता है।
लग्न में वृष या तुला राशी होने पर जातक सौन्द्य प्रिय होता है।उसका वर्ण उज्जवल कान्तियुक्त होता है
मिथुन या कन्या लग्न वाला दब्बू प्रक्रति का होता है।वो हमेशा माध्यम मार्ग अपनाता है।उसकी बुद्धि कुशाग्र और तर्कशक्ति प्रबल होती है।
कर्क लग्न वाला जातक कल्पनाशील होता है।उसके मतिष्क में योजनाये बनती रहती है।उसके कार्य में तीव्रता रहती है।वो सौन्दर्य प्रिय और जल प्रिय होती है।
सिंह लग्न वाला जातक पराक्रम शील स्वाभिमानी और कर्मनिष्ठ होता है।
धनु या मीन लग्न वाला जातक ज्ञान सम्पन्न चिंतनशील कला में अभिरुचि रखने वाला और नीतिवान होता है।
मकर और कुम्भ लग्न वाला जातक धैर्यवान स्पष्टवादी औउर आडम्बर प्रमी होता है।