Yantra

नव ग्रह यन्त्र 

१. सूर्य यन्त्र :  सूर्य यन्त्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिख कर गले या दाहिनी भुजा में  चाहिए अथवा तांबे  की अंगूठी में खुदवा कर अनामिका ऊँगली में धारण करना चाहिए। 
 


२. चन्द्र यन्त्र :चन्द्र यन्त्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिख कर गले या दाहिनी भुजा में  अथवा चांदी   की अंगूठी में खुदवा कर कनिष्ठा ऊँगली में धारण करना चाहिए। 


३ मंगल यन्त्र : मंगल  यन्त्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिख कर गले या दाहिनी भुजा में  अथवा ताँबे   की अंगूठी में खुदवा कर अनामिका  ऊँगली में धारण करना चाहिए। 




४ बुध यन्त्र :बुध  यन्त्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिख कर गले या दाहिनी भुजा में  अथवा चांदी   की अंगूठी में खुदवा कर कनिष्ठा ऊँगली में धारण करना चाहिए। 


५. गुरु यन्त्र :गुरु यन्त्र  को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिख कर गले या दाहिनी भुजा में  अथवा चांदी   की अंगूठी में खुदवा कर तर्जनी ऊँगली में धारण करना चाहिए। 



६ शुक्र यन्त्र :शुक्र  यन्त्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिख कर गले या दाहिनी भुजा में  अथवा चांदी   की अंगूठी में खुदवा कर अनामिका  ऊँगली में धारण करना चाहिए। 



७. शनि यन्त्र :शनि  यन्त्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिख कर गले या दाहिनी भुजा में  अथवा लोहा ,सीसा या रांगा    की अंगूठी में खुदवा कर अनामिका  ऊँगली में धारण करना चाहिए। 


८. राहु यन्त्र :राहु यन्त्र  को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिख कर गले या दाहिनी भुजा में  अथवा पांच धातु    की अंगूठी में खुदवा कर अनामिका  ऊँगली में धारण करना चाहिए। 





९: केतु यन्त्र :केतु  यन्त्र को भोजपत्र पर अष्टगंध से लिख कर गले या दाहिनी भुजा में  अथवा रांगे    की अंगूठी में खुदवा कर अनामिका  ऊँगली में धारण करना चाहिए। 



** ऊपर दिए यंत्रो को पूजन के बाद ही धारण  चाहिए 

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