नमस्कार पाठको आज हम इस लेख में बात करेंगे विज्ञानं भैरव तंत्र ग्रन्थ के बारे में , विज्ञान भैरव तंत्र कश्मीरी शैव सम्प्रदाय के त्रिक उपसम्प्रदाय का मुख्य ग्रन्थ है इस ग्रन्थ में ध्यान लगाने की विधियों का वर्णन है कुल ११२ विधिया है जो इस ग्रन्थ में भगवान शिव ने माँ शक्ति को बताई है इस ग्रन्थ में माँ शक्ति भगवान् शिव से बहुत से प्रश्न पूछती है जैसे की हे प्रभु आपका का सत्य क्या है ?जीवन की धुरी क्या है ?ये आपका आश्चर्य भरा जगत क्या है और इसके उत्तर में भगवन शिव कहते है हे देवी मैं केवल आपको कुछ ध्यान की विधिया दे सकता हूँ जिनका उपयोग करके आप सारे प्रश्नो का उत्तर प्राप्त कर लेंगी
भगवान् शिव द्वारा बताई गयी ११२ ध्यान विधिया मानव जीवन के लिए भी बहुत उपयोगी है जिनका अभ्यास करके मानव भी ज्ञान को प्राप्त कर सकता है ध्यान के लिए ये सारी विधियां नहीं अपनानी है कोई भी व्यक्ति ११२ विधियों में किसी भी एक विधि का अभ्यास कर सकता है. हर विधि अपने आप में पूर्ण है इस लेख में मैं पहली विधि के बारे में बताने जा रहा हूँ
विधि -०१
व्याख्या-
वैसे तो श्वास लेने की क्रिया दो भागो में विभाजित है एक श्वास का भीतर जाना और दूसरा श्वास का बहार आना पर अगर बहुत ध्यान से देखा जाये तो श्वास की क्रिया तीन भागो में विभाजित होती है एक श्वास का भीतर आना और कुछ क्षण के ठहर जाना और फिर बहार निकलना
श्वास के भीतर या बहार मुड़ने के पहले एक क्षण है जब हम श्वास नहीं लेते उसी क्षण यह अनुभव घटित हो सकता है हमको केवल अपनी श्वास का निरीक्षण करना है की श्वास किस तरह भीतर जाती और बहार निकलती कुछ अभ्यास के बाद हम जरूर उस बिंदु को प्राप्त कर सकते जहा श्वास ठहर जाती और उस क्षण को प्राप्त करने के बाद कोई भी प्रश्न अनुत्तरित नहीं रह जायेगा
भगवान् शिव द्वारा बताई गयी ११२ ध्यान विधिया मानव जीवन के लिए भी बहुत उपयोगी है जिनका अभ्यास करके मानव भी ज्ञान को प्राप्त कर सकता है ध्यान के लिए ये सारी विधियां नहीं अपनानी है कोई भी व्यक्ति ११२ विधियों में किसी भी एक विधि का अभ्यास कर सकता है. हर विधि अपने आप में पूर्ण है इस लेख में मैं पहली विधि के बारे में बताने जा रहा हूँ
विधि -०१
भगवान् शिव कहते है
हे देवी यह अनुभव दो श्वासो के बीच घटित हो सकता है
श्वास के भीतर आने के पश्चात और बहार लौटने के ठीक पूर्व
व्याख्या-वैसे तो श्वास लेने की क्रिया दो भागो में विभाजित है एक श्वास का भीतर जाना और दूसरा श्वास का बहार आना पर अगर बहुत ध्यान से देखा जाये तो श्वास की क्रिया तीन भागो में विभाजित होती है एक श्वास का भीतर आना और कुछ क्षण के ठहर जाना और फिर बहार निकलना
श्वास के भीतर या बहार मुड़ने के पहले एक क्षण है जब हम श्वास नहीं लेते उसी क्षण यह अनुभव घटित हो सकता है हमको केवल अपनी श्वास का निरीक्षण करना है की श्वास किस तरह भीतर जाती और बहार निकलती कुछ अभ्यास के बाद हम जरूर उस बिंदु को प्राप्त कर सकते जहा श्वास ठहर जाती और उस क्षण को प्राप्त करने के बाद कोई भी प्रश्न अनुत्तरित नहीं रह जायेगा