नमस्कार मित्रो , 
 आज के लेख में हम चर्चा करेंगे हमारे की किस तरह से  केतु हमारे पिछले जन्म के अधूरे कर्मो के बारे में जानकारी देता है आजकल अधिकांश लोगो के मन में एक जिज्ञासा रहती है की पिछले जन्म के कौन से कर्म है जो अधूरे रह गए है या फिर ऐसे कौन से कर्म है जिनका परिणाम हम आज भुगतना पड़ रहा है 
जैसा की हम सब सब जानते है की  जीवन के आगे बढ़ने के लिए सबसे जरूरी   है इच्छा और मुक्ति  हमारा जीवन इन्ही दोनों चीजों के बीच झूलता रहता है ज्योतिष में राहु इच्छा को दर्शाता है और केतु  मुक्ति को इसलिए  कलयुग में राहु और केतु की प्रसांगिकता  और बढ़ जाती है ज्योतिष में राहु और केतु छाया ग्रह माने जाते है इसलिए अपनी इच्छापूर्ति के लिए राहु केतु को समझना बहुत जरूरी है इच्छा तभी पूरी होगी जब आप अपने पिछले  जन्म के अधूरे कर्मो से मुक्त हो जाओगे या यूँ समझ सकते है की राहु अगर ताला है तो केतु उसकी चाभी 
अब कुंडली के माध्यम से समझते है की केतु किस तरह से हमारे अधूरे कर्मो को दर्शाता है 
 यदि कुंडली के पहले  भाव में केतु हो - पिछले जन्म में आपके स्वयं से संबधित कर्म अधूरे होंगे जैसे पिछले जन्म में आप किसी चीज की खोज में  थे  या आपने अपने लिए कोई लक्ष्य बनाया था और उसे पूरा नहीं कर पाए तो  इस जन्म में  कुंडली  केतु अच्छा  हुआ तो आप पूरी तन्यमता से  कार्यों को करेंगे अन्यथा केतु आपको  कार्य ठीक से पूरा नहीं होने देगा 
 यदि दूसरे भाव में केतु हो-पिछले जन्म में अपने परिवार ,धन ,वाणी से सम्बंधित कार्य अधूरे होते है ,  इस जन्म में आपके ऊपर अपने परिवार की जिम्मेदारी बहुत होगी , 
यदि केतु तीसरे भाव में हो तो आपके अपने छोटे भाई बहनो से सम्बंधित,सेना,साहस ,खेल  से सम्बंधित कार्य अधूरे रहते है 
 
  यदि केतु चौथे भाव में हो तो आपके अपनी माँ ,भूमि ,वाहन से सम्बंधित कार्य अधूरे रहते है 
 यदि केतु पांचवे भाव में हो तो शिक्षा ,संतान से सम्बंधित कार्य अधूरे होते है 
 यदि केतु छठे भाव में हो तो रोग, ऋण और शत्रु से सम्बंधित मतलब रोग ,ऋण और शत्रु से आपको सबसे ज्यादा भय लगेगा 
 यदि केतु सप्तम में हो तो अपनी पत्नी से सम्बंधित कार्य अधूरे होंगे मतलब इस जन्म में आपको अपनी पत्नी पर बहुत ध्यान देना होगा , 
यदि केतु आठवे भाव में हो अनुसन्धान,ससुराल ,तंत्र,  से सम्बंधित कार्य अधूरे होंगे
 यदि केतु नवम में हो तो पिता ,धर्म से सम्बंधित कर्म अधूरे होंगे 
 यदि केतु दशम  में हो तो ऐसे लोग  कुछ अलग करना चाहते है और करियर में बहुत बदलाव होते है और अपने कर्मो के प्रति भय बना रहता है 
 यदि केतु  ग्यारहवे में हो तो अपनी आय से ,बड़े भाई बहनो ,बहु के प्रति दामाद के प्रति कार्य अधूरे होंगे
 यदि केतु बारहवे में हो तो आपके भोग और मोक्ष से सम्बंधित कर्म अधूरे रह सकते है 
 यहाँ पर हमने कुंडली में केतु की सारी स्थितियों के बारे में चर्चा की है 
आप भी अपनी कुंडली खोले और देखे की आपकी कुंडली में केतु किस भाव में बैठा हुआ है फिर मेरे इस लेख को पढ़े और देखे की आपके भी कौन से कर्म अधूरे है क्या आप भी वही कर्मो को पूरा कर रहे है 
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कुंडली के भावों को समझने के लिए आप हमारा दूसरा लेख भी पढ़ सकते है 
 पूरा लेख पढ़ने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद् 
